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बिहार राज्य

किसानों ने पराली जलाई, बिहार सरकार ने उनसे छीनीं सारी सुविधाएं

किसानों ने पराली जलाई, बिहार सरकार ने उनसे छीनीं सारी सुविधाएं

पराली जलाने (stubble burning) जलाने के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में प्रदूषण को लेकर काफी समस्या उत्पंन्न हो रही है। हाल के वर्षों में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। राज्य सरकारें पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एक्शन ले रही हैं। सरकार किसानों को सरकारी सुविधाएं देती है, लेकिन अब कुछ राज्यों में पराली जलाने वाले किसानों से सरकार यह सरकारी सुविधा वापस भी लेने का काम कर रही है। बिहार में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहाँ राज्य सरकार ने पराली जलाने वाले 35 किसानों से सरकारी सुविधाएं छीन ली हैं। पराली जलाने से पैदा होने वाला धुआं ही प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना जाता है। वातावरण के लिए बड़ा संकट है। खरीफ फसल कटने के बाद धान के डंठल खेतों में ही पड़े रह जाते हैं। किसान अगर चाहे तो रसायन का इस्तेमाल कर ऐसे डंठल को खेत में ही निपटा सकते हैं। कई राज्यों ने यह दावा किया है, कि वे इस पराली का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी तरफ बहुत सारे किसान पराली निस्तारण के ऊपर खर्च नहीं करना चाहते हैं। इसलिए वे पराली में आग लगा देते हैं। नतीजतन, इस वक्त दिल्ली में जिस स्तर का प्रदूषण फैला हुआ है, उसके लिए पराली को जलाने को ही कारण माना जा रहा है।

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इतने किसानों से छीनी गई सरकारी सुविधाएं

बिहार के कई शहर इस वक्त भयंकर वायु प्रदूषण के शिकार हैं। कई शहरों का वायु प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर तक जा पहुंचा है। यहाँ भी पराली जलाने को ले कर सरकार सख्ती दिखा रही है। बिहार के नालंदा जिले के चंडी और नगरनौसा के 35 किसानों पर ऐसी ही कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई के तहत पराली जलाने वाले किसानों को तीन सालों तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। यह काम बिहार सरकार ने सेटेलाइट के जरिए किया है। यानी, सेटेलाइट के जरिए खेतों की निगरानी की गई। इस वक्त नालंदा के हर खेत पर नजर रखी जा रही है। उत्तर प्रदेश में भी सरकार पराली जलाने को लेकर सख्त दिख रही है। गोरखपुर में भी पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कदम उठाया गया है। अधिकारियों ने साफ कहा है, कि कोई किसान पराली जलाते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना ढाई हजार रूपये से लेकर पाँच हजार रूपये तक हो सकता है। पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में कार्रवाई जारी है। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में धान काट रही 16 हार्वेस्टर मशीनों को सीज कर दिया गया है।
खुशखबरी: ये सरकार किसानों के लिए बढ़ाने जा रही है उसना चावल के मिलों की सँख्या

खुशखबरी: ये सरकार किसानों के लिए बढ़ाने जा रही है उसना चावल के मिलों की सँख्या

बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशन में बिहार में कृषि विकास का चतुर्थ प्रारूप निर्धारित किया जा रहा है। बिहार में उसना या उबला चावल मिलों की तादात में वृद्धि की जाएगी। इसको लेकर एक दिन पूर्व ही बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिए हैं कि बिहार में कृषि उत्थान का चौथा प्रारूप भी प्रबंधित किया जाय। भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि भारत की रीढ़ की हड्डी है। भारत की कोई भी राज्य सरकार हमेशा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। दूसरी तरफ बिहार सरकार ने भी बिहार में कृषि उन्नति का प्रारूप बड़े स्तर पर खींचना प्रारंभ कर दिया है। प्रदेश में चौथे कृषि प्रारूप का कार्य किया जा रहा है, इस दौरान कृषि आश्रित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने प्रयास भी बिहार सरकार कर रही है। बिहार में लोग उसना चावल अधिक उपयोग करते हैं। काफी समय से प्रशासनिक स्तर पर उसना चावल मिलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा दिये गए निर्देशानुसार समस्त अधिकारी, हर एक जनपद में उसना चावल मिल बढ़ाने का कार्य करेंगे जिससे चावल के उत्पादन में वृद्धि के साथ मिलों एवं उनकी देखरेख उचित प्रकार से हो सके।

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बिहार के धान की कितनी एमएसपी है ?

बिहार में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया गया है। इस सीजन में धान का एमएसपी रेट २०४० रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जिला वार धान खरीद की कार्रवाई अलग तरह होगी यानि हर जनपद के लिए धान खरीद का लक्ष्य अलग रखा जाएगा। बतादें कि जिला स्तर के अधिकारी द्वारा धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया जायेगा।

बिहार में कितनी प्रतिशत आबादी कृषि पर आश्रित है ?

बिहार में वर्ष २००८ से कृषि के लिए प्रारूप निर्मित किया जा रहा है। राज्य सरकार का उद्देश्य कृषि एवं संबद्ध इलाकों की शीघ्र उन्नति और प्रगति से विकास करना है, बिहार राज्य की ७५ प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। स्टेट गवर्नमेंट हर खेत तक सिंचाई पहुॅचाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है, अधिकारियों का दावा है कि बिहार के हर घर तक बिजली पहुंच गई है।